23 दिनों बाद शनि देव होंगे मार्गी, इन 3 राशि के लोगों को दे सकते हैं अपार कष्ट!

शनि मार्गी 2022: वैदिक ज्योतिष में शनि को न्याय के देवता के रूप में जाना जाता है। अगर हम अच्छे कर्म करते हैं तो शनिदेव हमें अच्छा फल देते हैं और बुरे काम करने पर हमें दंड देते हैं। शनि वर्तमान में मकर राशि में वक्री है। शनि की यह उल्टी चाल साढ़ेसाती और ढैय्या से पीड़ित जातकों के लिए ज्यादा परेशानी वाली होगी। 23 अक्टूबर यानी धनतेरस के दिन शनि देव मार्गी यानी सीधी चाल चलने वाले हैं। हालांकि इससे शनि महादशा से पीड़ित लोगों पर शनि का अशुभ प्रभाव कम होगा।
शनि का गोचर कब होगा?
23 अक्टूबर 2022 को शनि गोचर करेंगे। यह दिन धनतेरस भी है। शनि का गोचर शनि की महादशा के कारण पीड़ित राशियों पर शनि के प्रभाव को कम करेगा।
इन राशियों के लिए शनि महदशा से राहत
शनि इस समय मकर राशि में है और शनि की साढ़ेसाती धनु, कुंभ और मकर राशि पर जारी है। वहीं कर्क और वृश्चिक राशि पर शनि ढैय्या का प्रभाव रहेगा। शनि का वक्री होना अधिक कष्टकारी होता है। इस दौरान साढ़े साती और ढैय्या से पीड़ित जातकों को आर्थिक, शारीरिक और मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। लेकिन शनि के गोचर में इन राशियों से राहत मिल सकती है।
इन राशि के लोगों को रहना होगा सावधान!
कन्या राशि: शनि के मार्गी होने से कन्या राशि के जातकों पर इसका असर साफ देखने को मिल सकता है। चूंकि इस राशि के लोगों के लिए शनि देव पंचम और छठे भाव के स्वामी हैं। इस दौरान छात्रों के लिए समय थोड़ा कठिन हो सकता है। साथ ही नौकरीपेशा वाले जातकों को भी कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है।
धनु राशि: शनि देव के मार्गी होने से धनु राशि के जातकों को भी कष्ट पहुंच सकता है। ज्योतिष के अनुसार धनु राशि के लिए शनि देव तीसरे और दूसरे भाव के स्वामी हैं। जातक को पारिवारिक जीवन से संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इस साथ ही मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना होगा।
कर्क राशि: शनि देव के मार्गी होने से कर्क राशि के जातकों को धन संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। शनि देव कर्क राशि के अष्टम और सप्तम भाव के स्वामी होते हैं। इस दौरान दांपत्य जीवन में कुछ परेशानियां हो सकती हैं। इसके अलावा संपत्ति से जुड़े भी कुछ हानि होने के संकेत हैं।
शनि देव के दुष्प्रभाव को कम करने के उपाय
प्रतिदिन शनि चालीसा का पाठ करें। शनिवार के दिन काले तिल, उड़द और काला कपड़ा दान करें। शनिवार के दिन रवि के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं। हनुमान जी की पूजा करें। शनिवार के दिन शनिदेव के मंदिर में जाकर पूजा करें।