भारत-श्रीलंका में बढ़ गई ‘समुद्री खीरे’ की स्मगलिंग, 2.59 लाख रुपए KG है कीमत

भारत और श्रीलंका के बीच स्थित मन्नार की खाड़ी में एक ऐसा जीव पाया जाता है, जो 2.59 लाख रुपए प्रति किलो बिकता है. दक्षिणी भारत और श्रीलंका से इसका ज्यादा शिकार किया जा रहा है. साथ ही इसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्मगलिंग भी होती है. इसलिए इसकी कीमत सोने के बराबर हो चुकी है. इस जीव को ‘समुद्री खीरा’ कहते हैं. इसका उपयोग कामोत्तेजना बढ़ाने वाली दवाओं, कैंसर के इलाज में, तेल, क्रीम, कॉस्मेटिक्स बनाने में होता है.
श्रीलंका के जाफना में रहने वाले 31 वर्षीय मछुआरे एंथनी विग्राडो पाल्क की खाड़ी में गोता लगाते हैं. इस उम्मीद के साथ कि समुद्र की सतह से वो ऐसा नायाब खजाना निकाल कर लाएंगे जो उनके पिछले 12 साल की कमाई के बराबर पैसा उन्हें दिलाएगा लेकिन ऐसा होता नहीं है. 10 घंटे गोता लगाने के बाद एंथनी को बहुत थोड़े से समुद्री खीरे (Sea Cucumber) मिलते हैं. निराश एंथनी कहते हैं कि उत्तरी श्रीलंका और दक्षिणी भारत के किनारे लगे समुद्री इलाकों में दूसरे देशों के मछुआरे समुद्री खीरे की स्मगलिंग करते हैं. इससे हमारी आय कम हो रही है.
समुद्री खीरा (Sea Cucumber) एचिनडर्म (Echinoderm) जीव है. इसका आकार ट्यूब जैसा होता है. यह खीरे की तरह दिखता है, इसलिए इसका ये नाम दिया गया है. ये काफी नरम और लचीला होता है. इस जीव का समुद्री इकोसिस्टम में महत्वपूर्ण किरदार होता है. ये रेत में दबे छोटे जीवों को खाता है. इसके बाद पोषक तत्वों को रिसाइकिल करता है. इसके मल से समुद्र में नाइट्रोजन, अमोनिया और कैल्सियम निकलते हैं, जो कोरल रीफ्स के लिए फायदेमंद होते हैं. इंसानी गतिविधियों से समुद्र में बढ़ रहे एसिड की मात्रा को भी ये जीव कम करता है.
समुद्री खीरा (Sea Cucumber) एचिनडर्म (Echinoderm) जीव है. इसका आकार ट्यूब जैसा होता है. यह खीरे की तरह दिखता है, इसलिए इसका ये नाम दिया गया है. ये काफी नरम और लचीला होता है. इस जीव का समुद्री इकोसिस्टम में महत्वपूर्ण किरदार होता है. ये रेत में दबे छोटे जीवों को खाता है. इसके बाद पोषक तत्वों को रिसाइकिल करता है. इसके मल से समुद्र में नाइट्रोजन, अमोनिया और कैल्सियम निकलते हैं, जो कोरल रीफ्स के लिए फायदेमंद होते हैं. इंसानी गतिविधियों से समुद्र में बढ़ रहे एसिड की मात्रा को भी ये जीव कम करता है.
समुद्री खीरा (Sea Cucumber) की मांग चीन समेत कई दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों में बहुत ज्यादा है. यहां पर इसे पकाकर खाया जाता है. साथ ही चीन की मान्य परंपरा के मुताबिक कामोत्तेजना बढ़ाने वाली दवाओं में भी इसका उपयोग होता है. दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों में इससे बनने वाले पकवान को बेशे-डे-मेर (Beche-De-Mer) या त्रेपांग (Trepang) बुलाया जाता है. चीन में इसे कामोत्तेजना की दवाई में इसलिए शामिल किया गया क्योंकि ये अपने जननांगों, सूंड़ों और आंतों को सुरक्षा के लिए सख्त कर लेता है.
कामोत्तेजना की दवा और बतौर पकवान उपयोग में लाने की वजह से इस विलुप्त हो रहे जीव की प्रजाति को खतरा पैदा हो गया है. इसकी कीमत पिछले 41 सालों में 50 गुना बढ़ गई है. साल 1980 में समुद्री खीरे की कीमत करीब 5180 रुपए प्रति किलोग्राम थी. जो अब बढ़कर 20,721 रुपए प्रति किलोग्राम हो चुकी है. कुछ खास तरह की प्रजातियों के समुद्री खीरों की कीमत 2.59 लाख रुपए प्रति किलोग्राम तक जाती है.
पिछले कुछ सालों में भारत और श्रीलंका के बीच स्थित मन्नार की खाड़ी (Gulf of Mannar) और जाफना के पास स्थित पाल्क की खाड़ी (Palk Bay) से समुद्री खीरों का शिकार ज्यादा हो रहा है. इस महंगे जीव को खरीदने के लिए कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियां और काले बाजार के लोग रहते हैं. जिसकी वजह से पूरी दुनिया में इस जीव की आबादी में 60 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है