कौन हैं ठाणे के ठाकरे कहे जाने वाले एकनाथ शिंदे जिसके लिए आज उद्धव ठाकरे सब कुछ छोड़ने के लिए तैयार हैं ?

उद्धव ठाकरे ने सोचा संजय राउत की बात मानेंगे तो 10 साल राज करेंगे, अब सोच रहे होंगे कि संजय राउत की बात ना मानी होती तो सरकार बच जाती
एक पुरानी कहावत तो आपने सुनी होगी.. घर का भेदी लंका ढहाए… अगर घर में विभीषण नहीं होता तो भगवान राम रावण का वध नहीं कर पाते… ठीक ऐसा ही हुआ महाराष्ट्र में…. लेकिन वो कौन है तो बन गया शिवसेना का विभीषण… और अपने साथ महाराष्ट्र के 46 विधायक ले उड़ा. और उसे ऐसा क्यों करना पड़ा.
पहली वजह- आरोप है कि उद्धव ठाकरे मातोश्री से बैठकर ही पूरी सरकार चला रहे थे. वो मुख्यमंत्री कार्यालय नहीं जाते.
दूसरी वजह – आरोप ये भी है उद्धव ठाकरे पार्टी में मनमानी कर रहे थे. किसी भी विधायक को डांट देना.. या उसे पार्टी से बाहर करने की धमकी देना आम बात हो गई थी
तीसरी वजह – मुख्यमंत्री भले उद्धव ठाकरे थे. लेकिन सुपर सीएम बन चुके संजय राउत. जो उद्धव को हमेशा गलत सलाह देते थे. जिसकी वदह से शिवसेना अपने मूल हिन्दुत्व के मुद्दे से भटक गई.
इसी शिवसेना में दूसरे नंबर के नेता है एकनाथ शिंदे. और पार्टी में बागी होने का फूलप्रुफ प्लान तैयार करने वाले किरदार भी नगर विकास मंत्री एकनाथ शिंदे ही हैं… ये प्लान इतना सीक्रेट था कि सूरत जाते समय शिंदे अपने साथ सिक्योरिटी भी नहीं ले गए. उन्हें शक था कि वो क्या करते हैं ये खबर सीएम ऑफिस तक उनकी सिक्योरिटी पहुंचा सकती है.. शिंदे के साथ रातों रात मुंबई छोड़ने वाले 40 विधायक जिसमें शिवसेना के 33 और 7 निर्दलीय विधायक हैं. जब सूरत के ला मेरिडियन होटल पहुंच गए तब लोगों को खबर लगी. सूत्रों के मुताबिक मुंबई से सूरत गुपचुप पहुंचाने में बीजेपी के एक बड़े नेता ने इन बागियों की मदद की है.
शिंदे कोई एक रात में बागी नहीं हुए, बल्कि इसकी पटकथा राज्यसभा चुनाव के पहले से लिखी जा रही थी.
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं की मंत्री के रूप में एकनाथ शिंदे के लिए फैसलों पर सीएम उद्धव ठाकरे रोक लगा देते थे. प्रमुख सचिवों के मार्फत उनके विभागों की फाइलें भी रुकवा दी जाती थीं. इसके अलावा शिवसेना का हिंदुत्व के मुद्दे से दूर होते जाना भी शिंदे को खटक रहा था. इसलिए महाराष्ट्र में ऑपरेशन लोटस के शुरू होते ही शिंदे बागी हो गए.
महाराष्ट्र में जब बीजेपी-शिवसेना गठबंधन सरकार थी तब भी शिंदे मंत्री थे. इसी दौरान तत्कालीन CM देवेंद्र फडणवीस का ड्रीम प्रोजेक्ट समृद्धि एक्सप्रेसवे लाया गया। इस दौरान एकनाथ शिंदे और फडणवीस के बीच मजबूत राजनीतिक दोस्ती हो गई, जो आज भी है. यह दोस्ती उद्धव को पसंद नहीं थी. इसलिए उनकी शिंदे के प्रति नाराजगी बढ़ती चली गई. दूसरे शिवसेना नेताओं को भी एकनाथ शिंदे के भाजपा के वरिष्ठ नेताओं, खासकर देवेंद्र फडणवीस, के साथ अच्छे संबंध पसंद नहीं थे.
इस समय एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र की शिवसेना सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं
एकनाथ शिंदे की गिनती ठाकरे परिवार के सबसे करीबियों में होती है महाराष्ट्र की जनता उनको ठाणे का ठाकरे भी कहती है
2019 में एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री की रेस के प्रबल दावेदार थे लेकिन उद्धव ठाकरे के लिए उन्होंने अपने कदम पीछे खींच लिए
महाराष्ट्र के कुछ इलाकों में एकनाथ शिंदे के इशारे से किसी भी पार्टी की ज़मीन हिल जाती
शिंदे का राजनैतिक करियर साल 1997 से शुरू हुआ जब वो ठाणे निगम के कॉरपोरेटर चुने गए ..इसके बाद वो 2004 में विधायक बने और राज्य की राजनीति में आ गए..2009 में वो दोबारा विधायक चुने गए ..इसके बाद साल 2014 और 2019 में वो महाराष्ट्र सरकार में मंत्री भी रहे ..
शिंदे की ज़िंदगी में संघर्ष कम नहीं रहे हैं..और एक कहावत भी है संघर्ष से मजबूत हुआ इंसान कभी नहीं टूटता..महाराष्ट्र की सड़कों पर एकनाथ शिंदे कभी ऑटो चलाकर अपने परिवार का पेट पाला करते थे लेकिन आज उनके सामने महाराष्ट्र की राजनीति में कोई नेता हो..साल 1997 में जब वो ठाणे से नगर निगम के लिए चुने गए थे उसके बाद उनके 2 बच्चों की गाँव में डूबकर मौत हो गई.. उनकी ज़िंदगी पर पहाड़ टूट गया ..लेकिन धीरे धीरे वो इस दुख से निकले और अपने आप को मजबूती से खड़ा किया.. हालत ये हो गई है की जहां शिंदे कभी सच्चे शिवसैनिक हुआ करते थे वही शिंदे आज शिवसेना को तोड़ कर नए शिवसेना का उदय करने जा रहे हैं। आपको क्या लगता है क्या एकनाथ शिंदे कामयाब हो पाएंगे। कमेंट में अपन अजवाब जरूर बताइएगा