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धरती पर यहां है यमराज का दरबार, बड़े-बड़े सूरमा भी जाने से घबराते हैं

Yamraj Mandir, मंदिरों में भक्त अपनी समस्याओं और परेशानियों से मुक्ति के लिए देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना करते हैं लेकिन एक मंदिर ऐसा है, जहां अंदर जाने से भी डरते हैं। बताया जाता है कि इस मंदिर आत्माओं का आना-जाना लगता रहता है और यमराज की अदालत भी लगती है। आइए जानते हैं इस खास मंदिर के बारे में….

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पितृपक्ष शुरू हो चुके हैं और इन खास दिनों में पितर अपने परिजनों से मिलने के लिए पृथ्वी लोक पर आते हैं। पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए तर्पण विधि, श्राद्ध कर्म आदि किए जाते हैं। पितृ पक्ष चल रहे हैं तो हम आपको मृत्‍यु के देवता यमराज के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे, जहां कोई भी जाना नहीं चाहता। बताया जाता है मंदिर में घुसने पर बुरी आत्माओं और पिशाचों का डर लगता है। मान्यता है कि इस मंदिर में यमराज की अदालत लगती है और यहीं से आत्माओं का सफर तय होता है। आइए जानते हैं इस मंदिर के बारे में खास बातें…

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मंदिर में अंदर जाने से डरते हैं लोग

पूरे विश्व में यमराज का यह मंदिर काफी प्रसिद्ध है, जिसमें बड़े से बड़े सूरमा लोग भी जाने से डरते हैं। यह मंदिर हिमाचल के चंबा जिले के भरमौर कस्बे में स्थित है और इस मंदिर के आसपास का दृश्य बहुत ही लुभावना है। लोग यहां मंदिर के अंदर आने की गलती तो नहीं करते लेकिन वे बाहर से ही प्रार्थना करके चले जाते हैं। यह मंदिर देखने में एक खाली घर जैसा लगता है।

इस मंदिर में होता है कर्मों का हिसाब

जंगलों और पहाड़ों के बीच स्थिति यमराज के इस मंदिर की स्थापना कब और कैसे हुई, इस बात की जानकारी तो नहीं मिलती। लेकिन चंबा के राज ने 6वीं शताब्दी में मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था, हालांकि उसकी जानकारी भी केवल सीढ़ियों तक है, पूरे मंदिर की नहीं। मान्यता है कि मृत्यु के बाद आत्मा को यमराज की इसी अदालत में लाया जाता है। इसी अदालत में आत्मा के कर्मों का हिसाब होता है और यहीं से उसको स्वर्ग या नरक में भेजा जाता है।

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पूजा करने पर नहीं रहता अकाल मृत्यु का भय

लोक मान्यताओं के अनुसार, इस मंदिर में चार छिपे हुए दरवाजे हैं, जो सोने, चांदी, तांबे और लोहे के हैं। अदालत में यमराज के फैसलों के बाद ही आत्मा को इन्हीं द्वार से भेजा जाता है। गरुण पुराण में भी यमराज के दरबार की चार दिशाओं में स्थित चार द्वारों का उल्लेख किया गया है। मान्यताओं के अनुसार, जो व्यक्ति बिना डरे, यहां यमराज की पूजा करता है, उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है।

मंदिर में चित्रगुप्त का भी है कक्ष

मंदिर में एक खाली कमरा भी है, जिसे यमराज के सचिव चित्रगुप्त का कमरा माना जाता है। यमराज की अदालत के पास कमरे में चित्रगुप्त आत्माओं के अच्छे और बुरे कर्मों का लेखा-जोखा एक किताब में रखते हैं। जब भी किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है, उसे सबसे पहले चित्रगुप्त के पास भेजा जाता है और फिर चित्रगुप्त यमराज की अदालत में कर्मों का पूरा लेखा जोखा सामने रखते हैं। चित्रगुप्त के कक्ष में आत्मा के उल्टे पैर भी दर्शाए गए हैं। इसी वजह से लोग इस मंदिर में जाने से डरते हैं और बाहर से ही यमराज को प्रणाम करके चले जाते हैं।

यहां लोगों का किया जाता है पिंडदान

पितृपक्ष के दौरान यमराज के इस मंदिर में असमय मौत का शिकार हुए लोगों का पिंडदान किया जाता है। पहाड़ों की वादियों और जंगल के बीच में स्थित इस मंदिर के पास वैतरणी नदी भी बहती है। गरुण पुराण में भी यमराज की अदालत के पास एक नदी का जिक्र किया गया है। बताया जाता है कि आत्मा को इसी नदी से पार करवाया जाता है। इस नदी के तट पर गौ दान भी किया जाता है। साथ ही मंदिर के भीतर एक धूना भी है, जो सदियों से जल रहा है।

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