जब जब मोदी लिखना चाहते हैं बड़ा इतिहास, तब तब गुजरात जाकर लेते हैं मां का आशीर्वाद

135 करोड़ लोगों का नेता जब मां के चरणों को धोने बैठा… , तो दुनिया भी बोल उठी.. मोदी जी ही हैं आज का श्रवण बेटा
कहते हैं एक बेटे के लिए मां सारी बलाएं ले लेती हैं… जब जब कश्ती पीएम मोदी की सैलाब में आई.. तब तब मां हीराबा के आशीर्वाद ने उन्हें बचाया. मां हीराबा और बेटे मोदी की जिन्दगी की ऐसी कई कहानियां हैं… जो आज पन्नों से बाहर निकलेंगे.. अगले तीन मिनट तक हम कुछ ऐसा बताने वाले हैं जो आज से पहले आपने कभी नहीं सुना होगा… पीएम मोदी का वो मुस्लिम दोस्त जिसकी परवरिश मां हीराबा की आंचल की छांव में हुआ. कहानी की शुरुआत ही इसी से करते हैं.. मां हीराबा 100 साल की हुई तो मोदी से एक खत लिखा और जैसे खत में दिल निकाल कर रख दिया. मां के जन्मदिन पर मुसलमान दोस्त के लिए मोदी का खत आपका दिल जीत लेगा. पीएम मोदी की कलम से मां के लिए निकले शब्दों आंखों को आंसूओं से भर देते हैं.
“मां, ये सिर्फ एक शब्द नहीं है. जीवन की ये वो भावना होती जिसमें स्नेह, धैर्य, विश्वास, कितना कुछ समाया होता है. दुनिया का कोई भी कोना हो, कोई भी देश हो, हर संतान के मन में सबसे अनमोल स्नेह मां के लिए होता है. मां, सिर्फ हमारा शरीर ही नहीं गढ़ती बल्कि हमारा मन, हमारा व्यक्तित्व, हमारा आत्मविश्वास भी गढ़ती है. और अपनी संतान के लिए ऐसा करते हुए वो खुद को खपा देती है, खुद को भुला देती है.
आज मैं अपनी खुशी, अपना सौभाग्य, आप सबसे साझा करना चाहता हूं. मेरी मां, हीराबा आज 18 जून को अपने सौवें वर्ष में प्रवेश कर रही हैं”
पीएम मोदी ने आगे लिखा जो लिखा उसे पढ़कर हिन्दुस्तान की हर मां को बड़ा सुकून मिलेगा… और ये भी भरोसा गहरा हो जाएगा कि उनके देश का प्रधानमंत्री एक नेता नहीं बल्कि उनका बेटा है. पीएम ने लिखा
“वैसे हमारे यहां जन्मदिन मनाने की कोई परंपरा नहीं रही है. आज मेरे जीवन में जो कुछ भी अच्छा है, मेरे व्यक्तित्व में जो कुछ भी अच्छा है, वो मां और पिताजी की ही देन है. आज जब मैं यहां दिल्ली में बैठा हूं, तो कितना कुछ पुराना याद आ रहा है.
मेरी मां जितनी सामान्य हैं, उतनी ही असाधारण भी. ठीक वैसे ही, जैसे हर मां होती है. आज जब मैं अपनी मां के बारे में लिख रहा हूं, तो पढ़ते हुए आपको भी ये लग सकता है कि अरे, मेरी मां भी तो ऐसी ही हैं, मेरी मां भी तो ऐसा ही किया करती हैं. मां एक व्यक्ति नहीं है, एक व्यक्तित्व नहीं है, मां एक स्वरूप है. हमारे यहां कहते हैं, जैसा भक्त वैसा भगवान. वैसे ही अपने मन के भाव के अनुसार, हम मां के स्वरूप को अनुभव कर सकते हैं”
इसी खत में पीएम मोदी ने एक कहानी बताई है.. कहानी जो आपका दिल छू लेगी.. मोदी को लेकर तरह तरह की बातें बनाने वालों को जोर का जवाब देती है.
मोदी ने इस चिट्ठी में अपने एक मुसलमान दोस्त का भी ज़िक्र किया ..शायद आजतक ना तो हम जानते थे ना ही आप कि मोदी का कोई मुसलमान दोस्त भी है..इसका नाम अब्बास था..प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अब्बास के लिए लिखा कि..
अब्बास बचपन का दोस्त था ..बचपन में ही अब्बास के माँ बाप छोड़कर चले गए थे इसलिए मोदी अब्बास को घर ले आए.. यहीं रहकर अब्बास ने पढ़ाई की ..मोदी ने लिखा उनकी माँ हीराबेन अब्बास को देखकर ख़ुश रहती थीं..ईद पर माँ अब्बास के लिए पकवान बनाती थी
जो लोग कहते हैं मोदी मुसलमानों से नफरत करते हैं अब्बास उनकी आँखें खोलने के लिए बहुत बड़ा सबक है..
मोदी ने अपनी माँ के जन्मदिन पर उनके पैर धोकर आश्रीवाद लिया और एक संस्कारी बेटे की तरह माँ के बराबर में ज़मीन पर बैठे.. उनके पांव धोए… विरले ही आज का कोई बेटा ऐसा करता है… पीएम मोदी के भीतर मां के लिए इतना गहरा सम्मान देखकर आप क्या कहना चाहते हैं.. कमेंट बॉक्स में अपनी राय जरूर बताएं